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Tuesday, 28 May 2019

PUBLIC COURT (लोक अदालत)

Lok Adalat Is An Alternative Mechanism To Settle Disputes In India.
लोक अदालत भारत में विवादों के निपटारे की एक वैकल्पिक व्यवस्था है।

POWER OF PUBLIC COURT
लोक अदालत की शक्ति

The Public Court Will Have The Power Of Civil Procedure Under The Civil Procedure Code, 1908. The Proceedings Will Be To The Civil Proceedings For The Purpose Of Chapter 1 Of The Penal Code, 1973 And Chapter 6 Of The Code Of Criminal Procedure. The Proceedings Under Section 193 A, 219-228 Of The Indian Penal Code Will Be Considered As Judicial Proceedings.
लोक अदालत को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत सिविल कार्यवाही की शक्ति होगी। दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 195, और के अध्याय 6 के प्रयोजन हेतु की कार्यवाही सिविल कार्यवाही होगी। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 193, 219 - 228 के तहत की गई कार्यवाही न्यायिक कार्यवाही मानी जाएगी।

Lok Adalats Are Different From Regular Courts. An Ex-Judge Or Retired Judge And Two Members Are A Social Worker, A Lawyer Is A Member, The Hearing Only If Both Parties Give It. These Insurance Claims Deal With The Promises Of Form Of Compensation.
They Have A Legal Status That The Lawyers Do Not Present.
लोक अदालतें नियमित कोर्ट से अलग होती हैं। पदेन या सेवानिवृत जज तथा दो सदस्य एक सामाजिक कार्यकता, एक वकील इसके सदस्य होते है सुनवाई केवल तभी करती है जब दोनों पक्ष इसकी स्वीकृति देते हों। ये बीमा दावों क्षतिपूर्ति के रूप वाले वादों को निपता देती है।
इनके पास वैधानिक दर्जा होता है वकील पक्ष नहीं प्रस्तुत करते हैं।

The Case Of Motor Accident Compensation Cases, Marital And Family Disputes, Disputes Of Land Acquisition And Claims Of Division, The Public Courts Deal Well. It Does Not Just Judge But Also Protects The Interests Of The Citizens.
मोटर दुर्घटना मुआवजे के मामले, वैवाहिक और पारिवारिक विवाद, भूमि अधिग्रहण के विवाद और विभाजन के दावे जैसे मामलों को लोक अदालते अच्छी तरह से निपटाती है।  यह सिर्फ न्याय नहीं करती बल्कि नागरिकों के हितों की रक्षा भी करती है।

COGNIZANCE OF MATTER BY LOK ADALAT
लोक अदालत द्वारा मामले का संज्ञान

Section 20 (1) If A Party Of Any Pending Case Pending In The Court Wants It To Be Disposed Of Through The Lok Adalat, And Its Opposing Party Agrees To It, Then On The Satisfaction Of The Court In That Condition That The Matter If The Lok Adalat Is Likely To Be Dealt With Promptly, The Lok Adalat Will Be Able To Take Cognizance Of That Episode And The Concerned Court Will Send The Case To Lok Adalat Before The Court Neutral Parties Will Reasonable Opportunity Of Being Heard.
धारा 20(1) यदि न्यायालय में लम्बित किसी वाद का पक्षकार यह चाहता है कि उसके प्रकरण का निपटारा लोक अदालत के माध्यम से हो, तथा उसका विरोधी पक्षकार इसके लिए सहमत हो, तो उस दशा में न्यायालय की यह संतुष्टि हो जाने पर कि मामले को लोक अदालत द्वारा शीघ्र निपटाए जाने की सम्भावना है, तो लोक अदालत उस प्रकरण का संज्ञान ले सकेगी तथा सम्बन्धित न्यायालय उस प्रकरण को लोक अदालत में भेजने के पूर्व न्यायालय उभय पक्षों को सुनवाई का समुचित अवसर देगा।

 FOLLOWING ARE THE BENEFITS OF DISPOSING OF LITIGATION BY LOK ADALAT.
लोक अदालत द्वारा मुकदामों का निपटारा करने के निम्‍नलिखित लाभ हैं।

The Lawyer Does Not Spend On It.
वकील पर खर्च नहीं होता।

Court Fees Do Not Seem To Be.
कोर्ट-फीस नहीं लगती।

The Court-Fees Of The Old Case Are Returned.
पुराने मुकदमें की कोर्ट-फीस वापस हो जाती है।

No Party Is Punished.
किसी पक्ष को सजा नहीं होती।

The Matter Is Resolved Cleanly By Negotiation.
मामले को बातचीत द्वारा सफाई से हल कर लिया जाता है।

Compensation And Damages Are Available Instantly.
मुआवजा और हर्जाना तुरन्त मिल जाता है।

The Matter Is Settled Immediately.
मामले का निपटारा तुरन्त हो जाता है।

Everyone Gets Justice Easily.
सभी को आसानी से न्‍याय मिल जाता है।

The Decision Is Final.
फैसला अन्तिम होता है।

There Is No Appeal Against The Verdict.

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