The District Court Has A Judicial Jurisdiction On All
Subordinate Courts And Is Located On Both Civil And Criminal Cases In The
District. On The Civil Side There Is A Subordinate Court, Junior Civil
Jurisdiction, Principal Junior Civil Judge Court, Senior Civil Court Judge.
जिला अदालत में सभी अधीनस्थ अदालतों पर न्यायिक
अधिकार क्षेत्र है, जिले में नागरिक और आपराधिक
दोनों मामलों पर स्थित है। सिविल पक्ष पर अधीनस्थ न्यायालय, जूनियर सिविल जज कोर्ट, प्रिंसिपल जूनियर सिविल जज कोर्ट, सीनियर सिविल जज कोर्ट हैं।
District And Subordinate Courts Have Been Set Up To
Give Justice At The District Level In The Country. District Judges Hear For All
Civil Cases And Criminal Cases. All District And Subordinate Courts Are Under
The High Court. In Order To See Civil Matters In The Lower Courts, See The
Junior Civil Judge's Court, The Principal Junior Civil Judge's Court, The
Senior Civil Court Judge In Ascending Order.
देश में जिला स्तर पर न्याय देने के लिए जिला और
अधीनस्थ न्यायालयों की स्थापना की गई है। जिला जज सभी सिविल मामलों और आपराधिक मुकदमों
की सुनवाई करते हैं। सभी जिला और अधीनस्थ न्यायालय उच्च न्यायालय के अधीन होते हैं।
निचली अदालतों में सिविल मामलों को देखने के लिए आरोही क्रम में जूनियर सिविल जज कोर्ट, प्रिंसिपल जूनियर सिविल जज कोर्ट, वरिष्ठ सिविल जज कोर्ट देखते हैं।
SUBORDINATE COURTS
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अधीनस्थ न्यायालय
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At This Stage, The Trial Of Civil Criminal Cases Is
Different; At This Level, The Civil And Sessions Courts Are Different At This
Level, The Judges Of This Level Are Recruited On The Basis Of General
Recruitment Examination, And The Appointment Of The Governor On The Advice Of
The State Chief Justice.
इस स्तर पर सिविल आपराधिक मामलों की सुनवाई अलग
अलग होती है इस स्तर पर सिविल तथा सेशन कोर्ट अलग अलग होते है इस स्तर के जज सामान्य
भर्ती परीक्षा के आधार पर भर्ती होते है उनकी नियुक्ति राज्यपाल राज्य मुख्य न्यायाधीश
की सलाह पर करता है।
The Provision Of Subordinate Court Or District Court
Has Been Made In Article 333 Of The Constitution. There Are Many Class Courts
Under The High Courts, Which Are Called Collectively Subordinate Courts. In
Different States, They Have Different Names And Different Grades, But In Broad
Perspective There Is A Similarity In Their Organizational Structure. Each
District Has A District Court Which Has Jurisdictional Jurisdiction Throughout
The District. There Are Many Lower Courts Under These District Courts. Various
Provisions Have Been Made In The Constitution To Keep District Courts
Independent From Executive, Just Like In The Supreme Court And High Courts.
संविधान के अनुच्छेद 333 में अधीनस्थ न्यायालय अथवा जिला न्यायालय का प्रावधान किया
गया है। उच्च न्यायालयों के अधीन कई श्रेणी के न्यायालय होते हैं, जिन्हें सम्मिलित रूप से अधीनस्थ न्यायालय कहा जाता है। विभिन्न
राज्यों में इनके अलग-अलग नाम और अलग-अलग दर्जे हैं, लेकिन व्यापक परिप्रेक्ष्य में इनके संगठनात्मक ढांचे में समानता
है। प्रत्येक जिले में एक जिला न्यायालय होता है जिसका इस जिले भर में अपील संबंधी
क्षेत्राधिकार होता है। इन जिला अदालतों के अधीन कई निचली अदालतें होती हैं। उच्चतम
न्यायालयतथा उच्च न्यायालयों की तरह ही जिला न्यायालयों को कार्यपालिका से स्वतंत्र
रखने के लिए संविधान में अनेक प्रावधान किये गये हैं।
APPOINTMENT OF DISTRICT JUDGES
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जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति
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In Consultation With The High Court The Governor
Appoints The District Judges. Generally, The District Judges Are Appointed On
The Basis Of Seniority And Merit In The Judicial Service Officers Of The State.
The Governor May, On The Recommendation Of The Court, Appoint The Person In The
Rank Of A District Judge, Who Has Been A Frequent Advocate For A Minimum Of 7 Years
In Any Court.
उच्च न्यायालय के परामर्श से राज्यपाल जिला न्यायाधीशों
की नियुक्ति करता है। सामान्यतः जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्य की न्यायिक सेवा
के अधिकारियों में से वरिष्ठता तथा योग्यता के आधार पर की जाती है। राज्यपाल, न्यायालय की सिफारिश पर उस व्यक्ति को भी जिला न्यायाधीश के
पद पर नियुक्त कर सकता है, जो कम से कम 7 वर्ष तक किसी न्यायालय में लगातार अधिवक्ता रहा हो।
IN ADDITION TO DISTRICT JUDGES , OTHER JUDGES ARE
APPOINTED IN TWO WAYS.
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जिला न्यायाधीशों के अतिरिक्त
अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति दो प्रकार से की जाती है।
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1
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Based On The Result Of
The Higher Judicial Services Testing Service Examination Conducted By The
High Court
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उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित उच्च न्याययिक सेवा परीक्षण सेवा परीक्षा के परिणाम
के आधार पर
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2
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Based On The Results
Of The Provincial Judicial Service Exam Conducted By The State Public Service
Commission
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राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रांतीय न्यायिक सेवा परीक्षा के परिणाम
के आधार पर
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EACH DISTRICT HAS THREE TYPES OF JURISDICTIONS.
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प्रत्येक जिले में तीन प्रकार के न्यायालय होते हैं।
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1
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CIVIL COURT
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दीवानी (सिविल) न्यायालय
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In These District Level Courts, Cases Related To
Movable And Immovable Property Are Heard.
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इन जिला स्तर के न्यायालयों
में चल-अचल संपत्ति से संबंधित मामलों की सुनवाई की जाती है।
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2
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FORENSIC (CRIMINAL)
COURT
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फौजदारी (आपराधिक) न्यायालय
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In These District Level Courts, Hearings Related To
Rioting, Fighting-Fights Etc. Are Heard. The District Judge Who Is Hearing
These Is Called A Sessions Judge.
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इन जिला स्तरीय न्यायालयों
में मारपीट, लड़ाई-झगड़े आदि से संबंधित
मुकदमों की सुनवाई की जाती है। इनकी सुनवाई करने वाले जिला न्यायाधीश को सत्र न्यायाधीश
कहा जाता है।
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3
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LAND REVENUE COURT
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भू-राजस्व न्यायालय
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It Involves Hearing Of Land And Rent Related Matters.
The District Judge Decides Both Civil And Criminal Cases On Both Matters.
When Making A Decision On Civil Matters, This Judge Is Called A Sitting Judge
While Deciding On The District Judge And Criminal Cases.
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इसमें भू एवं लगान संबंधी
मामलों की सुनवाई होती है। जिला न्यायाधीश दीवानी और फौजदारी दोनों मामलों पर निर्णय
देता है। दीवानी मामलों पर निर्णय देते समय इस न्यायाधीश को जिला न्यायाधीश तथा फौजदारी
मामलों पर निर्णय देते समय सत्र न्यायाधीश कहा जाता है।
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LIST OF CURRENT CHIEF JUSTICES OF THE HIGH COURT (उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायधीशों की सूची)
This Post Was Last Modified On 29/May/2019 And 11:39am
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