GULAAM
DYNASTY
गुलाम वंश
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(1)
QUTUBUDDIN AIBAK
कुतुबुद्दीन ऐबक
1206 - 1210
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Impressed By The Qualities,
Patriotism And Self-Sacrifice Of Qutubuddin Aibak, Muhammad Ghori Made Him
The Leader Of The Military Detachment And Gave The Title Of
"Amir-E-Aakhoor" (President Of Stable).
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मुहम्मद गोरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक के गुणों , कर्तव्यनिष्ठा और स्वामिभक्ति से प्रभावित होकर उसे सैनिक
टुकड़ी का नायक बनाया तथा "अमीर-ए-आखूर" (अस्तबल का अध्यक्ष) पद प्रदान
किया।
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After The Second War Of Tarain In
1192 AD In Qutbuddin Aibak, Became The Governor Of The Indian Empire Of
Muhammad Ghori.
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तराइन के द्वितीय युद्ध के पश्चात् 1192 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक , मुहम्मद गोरी के भारतीय साम्राज्य का गवर्नर बना।
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1206 AD In The Aftermath Of The
Death Of Muhammad Ghori, The Informal Monarchy Of Qutbuddin Aibak Was Done In
Lahore. Aibak Retained Independence By Liberating The Indian Empire From
Ghajini's Control
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1206 ई. में मुहम्मद गोरी की मृत्यु के पश्चात् कुतुबुद्दीन ऐबक
का अनौपचारिक राज्यारोहण लाहौर में किया गया। ऐबक ने भारत के साम्राज्य को गजनी के
नियन्त्रण से मुक्ति दिलाकर स्वतन्त्रता कायम की।
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Qutbuddin Aibak Was The First
Ottoman Ruler Of Delhi And He Is Considered The Founder Of The Turkish State
In India.
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कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का प्रथम तुर्क शासक था और उसी को भारत में तुर्की राज्य
का संस्थापक माना जाता है।
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Qutubuddin Aibak Started The
Construction Work Of Qutub Minar And Completed A Single Floor. Eltutmish
Completed The Remainder Of Qutub Minar. Qutubuddin And Iltutmish Built It In
Memory Of The Famous Sufi Saint Khwaja Qutabuddin Bakhtiar Kaki.
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कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य प्रारम्भ करवाया व उसकी एक मंजिल
पूरी करवाई। कुतुब मीनार का शेष भाग इल्तुतमिश ने पूरा कराया। कुतुबुद्दीन और इल्तुतमिश
ने इसका निर्माण प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की स्मृति में
कराया था।
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Because Of The Generosity Of
Qutubuddin, He Was Called Lakhwakhsh.
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कुतुबुद्दीन को उदारता के कारण उसे लाखवख्श कहा जाता था।
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Qutubuddin Aibak Has Built Two
Mosques - 1. Kuvwat-Ul-Islam Mosque (Delhi) 2. Half-Day Hut (Ajmer)
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कुतुबुद्दीन ऐबक ने दो मस्जिदे बनवायी - 1. कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (दिल्ली) 2. ढ़ाई दिन का झोपड़ा (अजमेर)
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1210 AD Kutubuddin Aibak Was Killed
In A Horse By Playing A Quad (Polly) In Lahore. He Was Buried In Lahore.
After The Death Of Qutbuddin Aibak,
His Son Saha Shah Was Seated On The Throne In Lahore.
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1210 ई . में लाहौर में चौगान (पोली) खेलते हुए घोड़े से गिर का
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु हुई थी । उसे लाहौर में दफनाया गया।
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के पश्चात उसके पुत्र आराम शाह को लाहौर में राजसिंहासन
पर बैठाया गया।
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(2)
AARAM SHAH
आराम शाह
1210
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Aaram Shah Attacked Shams-Ud-Din
Iltutmish, But Aaram Shah Was Killed In Battle.
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आराम शाह ने शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश पर आक्रमण किया, किन्तु युद्ध में आराम शाह मारा गया।
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Shams-Ud-Din Eltumishish Became The
Sultan Of Delhi After The Death Of Aaram Shah.
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आराम शाह की मृत्यु के पश्चात शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश दिल्ली का सुल्तान बना।
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(3)
SHAMS-UD-DIN ILTUTMISH
शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश
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Shams-Ud-Din Iltutmish Was The
Son-In-Law And Successor Of Qutubuddin Aibak.
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शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद व उत्तराधिकारी था।
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The Real First Sultan Of The Slave
Dynasty Was Shams-Ud-Din Iltutmish.
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गुलाम वंश का वास्तविक प्रथम सुल्तान शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश था।
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Shams-Ud-Din Eltutmish Made Silver
Coins Of His Own Name (175 Grains) And Copper Wins And Made Delhi Capital.
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शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश ने अपने नाम के चाँदी का टंका (175 ग्रेन) तथा ताँबे के जीतल चलाए और दिल्ली को राजधानी
बनाया।
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Iltutmish Under His Imperial Policy Ranthambore
(1226 AD), Mandaur (1227 AD), Earnest, Sambar, Nagaur (1230 AD), Gwalior (1231
AD), Kalinjar, Nagda (1231 - 1232 AD), Ujjain (1234 AD) Conquered Bhilsa (AD 1235).
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इल्तुतमिश ने अपनी साम्राज्यवादी नीति के तहत रणथम्भौर (1226 ई.), मन्दौर (1227 ई.), बयाना, सांभर, नागौड़ (1230 ई.), ग्वालियर (1231 ई.), कालिंजर, नागदा (1231 - 1232 ई.), उज्जैन (1234 ई.), भिलसा (1235 ई.) को विजित किया।
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1234 AD Shams-Ud-Din Iltutmish Died.
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1234 ई. शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश की मृत्यु हो गई।
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During His Lifetime, Iltutmish Chose
His Successor, His Daughter, Razia, But The Rich Made Rukuddin Firoz Shah The
Sultan Of Delhi Sultanate Against His Will.
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इल्तुतमिश ने अपने जीवनकाल में ही स्वयं अपना उत्तराधिकारी अपनी पुत्री रजिया
को चुना किन्तु अमीरों ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके बड़े जीवित पुत्र रूकुनुद्दीन
फिरोज शाह को दिल्ली सल्तनत का सुल्तान बना दिया।
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(4)
RUKUNUDDIN FIROZ SHAH
रूकुनुद्दीन फ़ीरोज़ शाह
1236
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Due To The Disqualification Of
Ruknuddin, There Was Anarchy And Chaos In Delhi Sultanate.
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रुकनुद्दीन की अयोग्यता के कारण दिल्ली सल्तनत में अशाति व अराजकता व्याप्त हो
गई।
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As A Result, Razia Took Advantage Of
The Dissatisfaction Against Him And Took Over The Throne Of Delhi Sultanate.
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परिणामतः रजिया ने उसके विरुद्ध व्याप्त असन्तोष का लाभ उठाते हुए दिल्ली सल्तनत
के सिंहासन पर अधिकार कर लिया।
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(5)
1236 - 1240
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Razia Was The First Muslim Ruler Of
The Medieval Period
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रजिया मध्यकाल की प्रथम मुस्लिम शासिका थी।
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Other Information अन्य जानकारी
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(6)
MUIZUDDIN BAHRAM SHAH
मुईज़ुद्दीन बहराम शाह
1240 - 1242
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Muizuddin Bahram Shah Was The Third
Son Of Shah Shams-Ud-Din Iltutmish Who Sat On The Throne After The
Assassination Of Razia And His Shohar Alatunia. Bahram Shah Proved To Be A
Very Inept Person.
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मुईज़ुद्दीन बहराम शाह शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश का तीसरा बेटा था जो रजिया और
उसके शौहर अल्तुनिया की हत्या के बाद सिंहासन पर बैठा। बहराम शाह निहायत अयोग्य व्यक्ति
साबित हुआ।
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(7)
ALAUDDIN MASUD SHAH
अलाउद्दीन मसूद शाह
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Allauddin Masood Was The Son Of
Muizuddin Bahram Shah.
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अल्लाउद्दीन मसूद मुईज़ुद्दीन बहराम शाह का बेटा था।
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(8)
NASIRUDDIN MEHMOOD
नासिरुद्दीन महमूद
1246 - 1266
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Nasiruddin Mahmud Used To Sell His
Cap And Live His Life. Sultan Nasiruddin Mehmood Died In Since Sultan Had No
Son, Balvan, Sitting On The Throne Of Delhi Sultanate By The Name Of
Ghazuddin Balban.
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नासिरूद्दीन महमूद टोपी बेचकर अपना जीवन निर्वाह करता था 1265 ई. में सुल्तान नासिरुद्दीन महमुद की मृत्यु हो
गई। चूंकि सुल्तान के कोई पुत्र नहीं था, अतः बलवन, ग्यासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली सल्तनत के राजसिहासन पर बैठा।
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(9)
GAYASUDDIN BALBAN
गयासुद्दीन बलबन
1266 - 1287
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1286 AD In Bolban's Kingdom, The
Mongols Were Attacked. This Time, Muhammad Khan, The Eldest Son Of Balban,
Was Killed In The War Against Him, But The Empire Was Safe.
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1286 ई. में बलबन के साम्राज्य पर मंगोलों द्वारा आक्रमण किया गया।
इस बार उनके विरुद्ध युद्ध करने में बलबन का बड़ा पुत्र मुहम्मद खां मारा गया,
किन्तु साम्राज्य सुरक्षित
रहा।
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Balban Received A Sharp Shock After
Receiving Information About His Son Muhammad Khan, Who Was Killed Fighting
With Mongols, And Soon Died In 1287 AD.
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बलबन को अपने पुत्र मुहम्मद खां, जो कि मंगोलों से लड़ता हुआ मारा गया था, की सूचना पाकर तीव्र आघात पहुंचा और शीघ्र ही
1287 ई. में ही उसकी
मृत्यु हो गई।
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Before His Death, Balkrishna Had
Declared Kaikhusara, Son Of The Late Shahzada Muhammad As His Successor, But
After The Death Of The Balban, His Emissaries Ignored His Command And Put
Muizuddin Kaikabad Son Of Bugra Khan On The Throne.
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बलबन ने अपनी मृत्यु से पूर्व दिवंगत शहजादा मुहम्मद के पुत्र कैखुसराव को अपना
उत्तराधिकारी घोषित किया था, किन्तु बलबन की मृत्यु के पश्चात् उसके अमीरों ने उसकी आज्ञा की अवहेलना कर,
बुगरा खां के पुत्र मुइजु़द्दीन
काएकाबाद को राज सिंहासन पर बैठाया।
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(10)
MUIZUDDIN KAIKABAD
मुइजु़द्दीन काएकाबाद
1287 - 1290
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Muizuddin Kaikabad Was A Victim Of
Luxury.
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मुइजु़द्दीन काएकाबाद भोग विलासी प्रवृत्ति का था।
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(11)
SHAMSUDDIN QUMARSH
शमशुद्दीन क्यूम़र्श
1290
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The Last Ruler Of The Ghulam Dynasty
Was Shamsuddin Qumarsh.
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गुलाम वंश का अन्तिम शासक शमशुद्दीन क्यूम़र्श था।
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1206 - 1290 (Almost 84 Years 84 वर्ष लगभग)
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