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Tuesday, 29 January 2019

GULAAM DYNASTY (गुलाम वंश)

GULAAM DYNASTY
गुलाम वंश


(1)
QUTUBUDDIN AIBAK
कुतुबुद्दीन ऐबक
1206 - 1210
Impressed By The Qualities, Patriotism And Self-Sacrifice Of Qutubuddin Aibak, Muhammad Ghori Made Him The Leader Of The Military Detachment And Gave The Title Of "Amir-E-Aakhoor" (President Of Stable).
मुहम्मद गोरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक के गुणों , कर्तव्यनिष्ठा और स्वामिभक्ति से प्रभावित होकर उसे सैनिक टुकड़ी का नायक बनाया तथा "अमीर-ए-आखूर" (अस्तबल का अध्यक्ष) पद प्रदान किया।
After The Second War Of Tarain In 1192 AD In Qutbuddin Aibak, Became The Governor Of The Indian Empire Of Muhammad Ghori.
तराइन के द्वितीय युद्ध के पश्चात् 1192 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक , मुहम्मद गोरी के भारतीय साम्राज्य का गवर्नर बना।
1206 AD In The Aftermath Of The Death Of Muhammad Ghori, The Informal Monarchy Of Qutbuddin Aibak Was Done In Lahore. Aibak Retained Independence By Liberating The Indian Empire From Ghajini's Control
1206 ई. में मुहम्मद गोरी की मृत्यु के पश्चात् कुतुबुद्दीन ऐबक का अनौपचारिक राज्यारोहण लाहौर में किया गया। ऐबक ने भारत के साम्राज्य को गजनी के नियन्त्रण से मुक्ति दिलाकर स्वतन्त्रता कायम की।
Qutbuddin Aibak Was The First Ottoman Ruler Of Delhi And He Is Considered The Founder Of The Turkish State In India.
कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का प्रथम तुर्क शासक था और उसी को भारत में तुर्की राज्य का संस्थापक माना जाता है।
Qutubuddin Aibak Started The Construction Work Of Qutub Minar And Completed A Single Floor. Eltutmish Completed The Remainder Of Qutub Minar. Qutubuddin And Iltutmish Built It In Memory Of The Famous Sufi Saint Khwaja Qutabuddin Bakhtiar Kaki.
कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य प्रारम्भ करवाया व उसकी एक मंजिल पूरी करवाई। कुतुब मीनार का शेष भाग इल्तुतमिश ने पूरा कराया। कुतुबुद्दीन और इल्तुतमिश ने इसका निर्माण प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की स्मृति में कराया था।
Because Of The Generosity Of Qutubuddin, He Was Called Lakhwakhsh.
कुतुबुद्दीन को उदारता के कारण उसे लाखवख्श कहा जाता था।
Qutubuddin Aibak Has Built Two Mosques - 1. Kuvwat-Ul-Islam Mosque (Delhi) 2. Half-Day Hut (Ajmer)
कुतुबुद्दीन ऐबक ने दो मस्जिदे बनवायी - 1. कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (दिल्ली) 2. ढ़ाई दिन का झोपड़ा (अजमेर)
1210 AD Kutubuddin Aibak Was Killed In A Horse By Playing A Quad (Polly) In Lahore. He Was Buried In Lahore.
After The Death Of Qutbuddin Aibak, His Son Saha Shah Was Seated On The Throne In Lahore.
1210 ई . में लाहौर में चौगान (पोली) खेलते हुए घोड़े से गिर का कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु हुई थी । उसे लाहौर में दफनाया गया।
कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के पश्चात उसके पुत्र आराम शाह को लाहौर में राजसिंहासन पर बैठाया गया।

(2)
AARAM SHAH
आराम शाह
1210
Aaram Shah Attacked Shams-Ud-Din Iltutmish, But Aaram Shah Was Killed In Battle.
आराम शाह ने शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश पर आक्रमण किया, किन्तु युद्ध में आराम शाह मारा गया।
Shams-Ud-Din Eltumishish Became The Sultan Of Delhi After The Death Of Aaram Shah.
आराम शाह की मृत्यु के पश्चात शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश दिल्ली का सुल्तान बना।

(3)
SHAMS-UD-DIN ILTUTMISH
शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश

Shams-Ud-Din Iltutmish Was The Son-In-Law And Successor Of Qutubuddin Aibak.
शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश कुतुबुद्दीन ऐबक का दामाद व उत्तराधिकारी था।
The Real First Sultan Of The Slave Dynasty Was Shams-Ud-Din Iltutmish.
गुलाम वंश का वास्तविक प्रथम सुल्तान शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश था।
Shams-Ud-Din Eltutmish Made Silver Coins Of His Own Name (175 Grains) And Copper Wins And Made Delhi Capital.
शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश ने अपने नाम के चाँदी का टंका (175 ग्रेन) तथा ताँबे के जीतल चलाए और दिल्ली को राजधानी बनाया।
Iltutmish Under His Imperial Policy Ranthambore (1226 AD), Mandaur (1227 AD), Earnest, Sambar, Nagaur (1230 AD), Gwalior (1231 AD), Kalinjar, Nagda (1231 - 1232 AD), Ujjain (1234 AD) Conquered Bhilsa (AD 1235).
इल्तुतमिश ने अपनी साम्राज्यवादी नीति के तहत रणथम्भौर (1226 ई.), मन्दौर (1227 ई.), बयाना, सांभर, नागौड़ (1230 ई.), ग्वालियर (1231 ई.), कालिंजर, नागदा (1231 - 1232 ई.), उज्जैन (1234 ई.), भिलसा (1235 ई.) को विजित किया।
1234 AD Shams-Ud-Din Iltutmish Died.
1234 ई. शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश की मृत्यु हो गई।
During His Lifetime, Iltutmish Chose His Successor, His Daughter, Razia, But The Rich Made Rukuddin Firoz Shah The Sultan Of Delhi Sultanate Against His Will.
इल्तुतमिश ने अपने जीवनकाल में ही स्वयं अपना उत्तराधिकारी अपनी पुत्री रजिया को चुना किन्तु अमीरों ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके बड़े जीवित पुत्र रूकुनुद्दीन फिरोज शाह को दिल्ली सल्तनत का सुल्तान बना दिया।

(4)
RUKUNUDDIN FIROZ SHAH
रूकुनुद्दीन फ़ीरोज़ शाह
1236
Due To The Disqualification Of Ruknuddin, There Was Anarchy And Chaos In Delhi Sultanate.
रुकनुद्दीन की अयोग्यता के कारण दिल्ली सल्तनत में अशाति व अराजकता व्याप्त हो गई।
As A Result, Razia Took Advantage Of The Dissatisfaction Against Him And Took Over The Throne Of Delhi Sultanate.
परिणामतः रजिया ने उसके विरुद्ध व्याप्त असन्तोष का लाभ उठाते हुए दिल्ली सल्तनत के सिंहासन पर अधिकार कर लिया।

(5)
1236 - 1240
Razia Was The First Muslim Ruler Of The Medieval Period
रजिया मध्यकाल की प्रथम मुस्लिम शासिका थी।
Other Information  अन्य जानकारी

(6)
MUIZUDDIN BAHRAM SHAH
मुईज़ुद्दीन बहराम शाह
1240 - 1242
Muizuddin Bahram Shah Was The Third Son Of Shah Shams-Ud-Din Iltutmish Who Sat On The Throne After The Assassination Of Razia And His Shohar Alatunia. Bahram Shah Proved To Be A Very Inept Person.
मुईज़ुद्दीन बहराम शाह शम्स-उद-दीन इल्तुत्मिश का तीसरा बेटा था जो रजिया और उसके शौहर अल्तुनिया की हत्या के बाद सिंहासन पर बैठा। बहराम शाह निहायत अयोग्य व्यक्ति साबित हुआ।

(7)
ALAUDDIN MASUD SHAH
अलाउद्दीन मसूद शाह
Allauddin Masood Was The Son Of Muizuddin Bahram Shah.
अल्लाउद्दीन मसूद मुईज़ुद्दीन बहराम शाह का बेटा था।

(8)
NASIRUDDIN MEHMOOD
नासिरुद्दीन महमूद
1246 - 1266
Nasiruddin Mahmud Used To Sell His Cap And Live His Life. Sultan Nasiruddin Mehmood Died In Since Sultan Had No Son, Balvan, Sitting On The Throne Of Delhi Sultanate By The Name Of Ghazuddin Balban.
नासिरूद्दीन महमूद टोपी बेचकर अपना जीवन निर्वाह करता था 1265 ई. में सुल्तान नासिरुद्दीन महमुद की मृत्यु हो गई। चूंकि सुल्तान के कोई पुत्र नहीं था, अतः बलवन, ग्यासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली सल्तनत के राजसिहासन पर बैठा।

(9)
GAYASUDDIN BALBAN
गयासुद्दीन बलबन
1266 - 1287
1286 AD In Bolban's Kingdom, The Mongols Were Attacked. This Time, Muhammad Khan, The Eldest Son Of Balban, Was Killed In The War Against Him, But The Empire Was Safe.
1286 ई. में बलबन के साम्राज्य पर मंगोलों द्वारा आक्रमण किया गया। इस बार उनके विरुद्ध युद्ध करने में बलबन का बड़ा पुत्र मुहम्मद खां मारा गया, किन्तु साम्राज्य सुरक्षित रहा।
Balban Received A Sharp Shock After Receiving Information About His Son Muhammad Khan, Who Was Killed Fighting With Mongols, And Soon Died In 1287 AD.
बलबन को अपने पुत्र मुहम्मद खां, जो कि मंगोलों से लड़ता हुआ मारा गया था, की सूचना पाकर तीव्र आघात पहुंचा और शीघ्र ही 1287 ई. में ही उसकी मृत्यु हो गई।
Before His Death, Balkrishna Had Declared Kaikhusara, Son Of The Late Shahzada Muhammad As His Successor, But After The Death Of The Balban, His Emissaries Ignored His Command And Put Muizuddin Kaikabad Son Of Bugra Khan On The Throne.
बलबन ने अपनी मृत्यु से पूर्व दिवंगत शहजादा मुहम्मद के पुत्र कैखुसराव को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, किन्तु बलबन की मृत्यु के पश्चात् उसके अमीरों ने उसकी आज्ञा की अवहेलना कर, बुगरा खां के पुत्र मुइजु़द्दीन काएकाबाद को राज सिंहासन पर बैठाया।

(10)
MUIZUDDIN KAIKABAD
मुइजु़द्दीन काएकाबाद
1287 - 1290
Muizuddin Kaikabad Was A Victim Of Luxury.
मुइजु़द्दीन काएकाबाद भोग विलासी प्रवृत्ति का था।

(11)
SHAMSUDDIN QUMARSH
शमशुद्दीन क्यूम़र्श
1290
The Last Ruler Of The Ghulam Dynasty Was Shamsuddin Qumarsh.
गुलाम वंश का अन्तिम शासक शमशुद्दीन क्यूम़र्श था।

1206 - 1290  (Almost 84 Years 84 वर्ष लगभग)

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